लगातार 6 दिन बंद रहेंगे सभी स्कूल, जारी हुआ आदेश School Holidays

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School Holidays: दक्षिण भारत में पोंगल का त्यौहार हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यह फसल का त्योहार मुख्य रूप से तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में मनाया जाता है और यह सूर्य के उत्तरायण होने के समय को चिह्नित करता है. इस त्योहार के दौरान घरों में पोंगल पकाया जाता है और लोग पारंपरिक तरीके से पूजा करते हैं. पोंगल का पर्व खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है जिसे पूरे भारत में खास है.

तमिलनाडु में पोंगल की छुट्टियां

तमिलनाडु राज्य ने पोंगल के उत्सव के लिए 14 से 18 जनवरी 2025 तक पांच दिन की छुट्टियां (holiday for Pongal festival) घोषित की हैं. यह छुट्टियां पोंगल और उसके बाद के अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों को समर्पित की गई हैं. इस दौरान छात्रों को अपने परिवारों के साथ घर जाने और त्यौहार के रंगीन आयोजन का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा. राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 25 जनवरी को सरकारी कार्यालय और शैक्षणिक संस्थान (schools and government offices in Tamil Nadu) खुले रहेंगे ताकि छुट्टियों की भरपाई की जा सके.

तेलंगाना में भी पोंगल के उत्सव के लिए छुट्टियां

तेलंगाना राज्य ने भी पोंगल के अवसर पर छुट्टियां घोषित की हैं. 13 से 17 जनवरी, 2025 तक स्कूल बंद रहेंगे, जिससे छात्रों और उनके परिवारों को कुल सात दिन का अवकाश (public holiday in Telangana) मिलेगा. इस समय का उपयोग वे भोगी और संक्रांति जैसे प्रमुख त्यौहारों को मनाने में कर सकेंगे. इस छुट्टी से छात्रों को इस प्रमुख फसल उत्सव में पूरी तरह से भाग लेने का मौका मिलेगा.

केरल में पोंगल का स्थानीय प्रभाव

हालाँकि, केरल में पोंगल के लिए राज्यव्यापी अवकाश (state holiday for Pongal) की कोई योजना नहीं है, लेकिन राज्य के कुछ जिलों में विशेष रूप से तमिलनाडु से सटे जिलों जैसे तिरुवनंतपुरम और कोल्लम में, स्थानीय अवकाश की संभावना जताई जा रही है. ये जिलें तमिल भाषी समुदायों (Tamil-speaking community) के बड़े हिस्से को आबाद करते हैं, और यहां पोंगल का सांस्कृतिक प्रभाव गहरा है. इस निर्णय से स्थानीय लोगों की आस्थाओं को मान्यता मिलती है, और त्योहार को सही तरीके से मनाने का अवसर मिलता है.

पोंगल के रंगीन उत्सव और सांस्कृतिक आयोजन

पोंगल न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव भी है. इस दौरान लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी सजावट से सजाते हैं, खासकर पोंगल के पारंपरिक व्यंजन (traditional dishes of Pongal) जैसे पोंगल चावल, जिसे गाय के दूध और गुड़ के साथ पकाया जाता है, का आनंद लिया जाता है. इसके अलावा, तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिसमें पारंपरिक नृत्य, संगीत और खेल गतिविधियाँ शामिल होती हैं.

छुट्टियों का प्रभाव और परिवारों पर असर

दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में पोंगल की छुट्टियों के घोषित होने से परिवारों को एक साथ समय बिताने का मौका मिलता है. ये छुट्टियां (holiday for families) उनके लिए त्योहार के उल्लास में भाग लेने का आदर्श समय बन जाती हैं. इससे न केवल बच्चों को आराम मिलता है बल्कि वे अपने परिवारों के साथ त्योहार की खुशियों में भी शामिल हो सकते हैं.

शैक्षणिक संस्थानों पर पड़ने वाला असर

इस प्रकार की लंबी छुट्टियों का असर शैक्षणिक संस्थानों पर भी पड़ता है. हालांकि छुट्टियों के दौरान छात्रों को अध्ययन से ब्रेक मिलता है लेकिन सरकार द्वारा अवकाश की समयावधि को समायोजित करने के लिए 25 जनवरी को स्कूल और सरकारी कार्यालयों को खोला गया है. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों की पढ़ाई में कोई रुकावट न हो और आगामी परीक्षाओं के लिए समय पर तैयारी की जा सके.

नये साल की शुरुआत में पोंगल का उत्सव

इस साल पोंगल की छुट्टियां खास महत्व रखती हैं क्योंकि यह नई शुरुआत का प्रतीक है. नए वर्ष की शुरुआत में पोंगल (Pongal festival in 2025) के आयोजन से दक्षिण भारत के लोग एक सकारात्मक और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं. यह समय पारंपरिक रूप से अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियाँ मनाने, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करने का होता है.

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