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बीरमाना गांव का इतिहास करीब दो सौ साल पुराना है जब इसे 1823 में बसाया गया था. हालांकि इस गांव का नाम ‘गैबीसर’ रखा गया था लेकिन धीरे-धीरे इसे ‘बीरमाना’ के नाम से जाने जाना लगा.
- गांव का नामकरण: इसके पीछे कोई प्रमाणिक साक्ष्य तो नहीं हैं, लेकिन कहा जाता है कि यह नाम सरूपीर महाराज या मंदिर के पुजारी बीरूराम के नाम पर पड़ा.
- नाम का महत्व: यह नाम अब गांव की पहचान बन चुका है, जो इस गांव के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है.
शिक्षा में गांव का योगदान
बीरमाना गांव की शिक्षा व्यवस्था बहुत मजबूत रही है और यहां के लोग सरकारी सेवाओं में भी विशेष स्थान रखते हैं.
- शिक्षा विभाग में कार्यरत लोग: इस गांव से कुल 160 लोग शिक्षा विभाग (Education Department Employees) में कार्यरत हैं, और लगभग 450 लोग विभिन्न सरकारी सेवाओं में (Government Services) कार्य कर रहे हैं.
- शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार: गांव में शिक्षा की शुरुआत बहुत पहले हुई थी, जब 1957 में पांचवीं कक्षा, 1962 में आठवीं, 1980 में दसवीं, और 2000 में बारहवीं की कक्षाएं शुरू की गई.
ऐतिहासिक नेताओं और पदाधिकारियों का योगदान
गांव की ऐतिहासिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण नेताओं का योगदान रहा है.
- भैरोसिंह शेखावत का दौरा: 1989-90 में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat Visit) ने भी इस गांव का दौरा किया था, जिससे गांव की राजनीति और सामाजिक स्थिति को एक नई दिशा मिली.
ग्राम पंचायत और प्रशासनिक संरचना
बीरमाना ग्राम पंचायत सूरतगढ़ उपखंड की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत मानी जाती है, जो प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.
- पंचायत संरचना: वर्ष 1994 तक गोपालसर ग्राम पंचायत भी इसमें सम्मिलित थी, लेकिन 2014 में हरदासवाली ग्राम पंचायत अलग हो गई. अब तक कुल 13 सरपंच (Sarpanch in Biramana) इस ग्राम पंचायत का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं.
शिक्षा की अलख जगाने में रामेश्वरदास चौहान का योगदान
गांव में शिक्षा की अलख जगाने में रामेश्वरदास चौहान का नाम विशेष रूप से लिया जाता है, जिनके प्रयासों से शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी.
- शिक्षा के प्रति जागरूकता: रामेश्वरदास चौहान (Rameshwar Das Chauhan) ने गांव में शिक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ावा दिया और लोगों को शिक्षित होने के लिए प्रेरित किया.
- विद्यालय भवन का निर्माण: इसके अलावा, उन्होंने जनसहयोग से विद्यालय में भवन का निर्माण (School Building Construction) भी करवाया, जिससे शिक्षा की सुविधाएं और बेहतर हो सकीं.
गांव का वर्तमान और भविष्य
आज बीरमाना गांव का सामाजिक और आर्थिक जीवन कृषि कार्यों के साथ-साथ सरकारी नौकरियों पर भी निर्भर है.
- कृषि और नौकरी का संतुलन: इंदिरा गांधी मुख्य नहर और अनूपगढ़ शाखा के बीच स्थित यह गांव कृषि कार्यों (Agricultural Work in Biramana) और सरकारी नौकरी दोनों में संतुलन बनाकर चल रहा है.
- जनसंख्या और विकास: इस गांव की आबादी लगभग 5000 है और इसमें 921 घर बसे हुए हैं. गांव में 27 मुरब्बा का क्षेत्रफल है, जो गांव के विकास और समृद्धि को दर्शाता है.