Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद वसीयत करने की प्रक्रिया को बेहद सरल और डिजिटल बना दिया गया है. अब यदि कोई व्यक्ति अपनी वसीयत करना चाहता है तो केवल तीन मिनट की वीडियो रिकॉर्डिंग से यह काम पूरा हो सकता है. इस वीडियो में व्यक्ति को अपनी वसीयत पढ़कर बोलना होगा और इसमें दो गवाहों की पुष्टि भी अनिवार्य होगी. इसके बाद इस वीडियो को पोर्टल पर अपलोड करना होगा.
ऑनलाइन पोर्टल से बढ़ी प्रक्रिया की पारदर्शिता
यूसीसी के तहत वसीयत बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल का प्रावधान किया गया है. इस पोर्टल पर फॉर्म भरकर, हस्तलिखित या टाइप की हुई वसीयत को अपलोड किया जा सकता है. इससे वसीयत प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुविधा दोनों बढ़ गई हैं.
संपत्ति और उत्तराधिकारियों का विवरण देना होगा
यूसीसी की धारा 49 और 60 के अनुसार, वसीयत करने वाले व्यक्ति को अपनी संपत्ति का विस्तृत विवरण देना होगा. साथ ही, अपने विधिक उत्तराधिकारियों की सूची घोषित करनी होगी. यह वसीयत केवल उन्हीं लोगों द्वारा की जा सकती है, जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हों और मानसिक रूप से स्वस्थ हों.
गवाहों की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य
यदि कोई व्यक्ति वीडियो माध्यम से अपनी वसीयत करता है, तो उसमें गवाहों की भी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी. वीडियो रिकॉर्डिंग से पहले आधार नंबर से लॉगिन करना होगा. यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि वसीयत कानूनी और सुरक्षित हो.
वसीयत में बदलाव और रद्द करने का अधिकार
यूसीसी के प्रावधानों के अनुसार, वसीयत करने वाले व्यक्ति को अपनी वसीयत में बदलाव करने, उसे रद्द करने या पुनर्जीवित करने का पूर्ण अधिकार होगा. व्यक्ति अपनी वसीयत को किसी भी समय संशोधित कर सकता है और इसे डिजिटल माध्यम से अपडेट कर सकता है.
मृत्यु के बाद वसीयत रजिस्टर करने की प्रक्रिया
वसीयत करने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद, उसके विधिक उत्तराधिकारी को मृत्यु प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर वसीयत को रजिस्टर करना होगा. रजिस्टर की गई वसीयत की प्रमाणित प्रति प्राप्त करना भी संभव होगा. यदि वसीयत करने वाले व्यक्ति की मृत्यु वसीयत के पंजीकरण से पहले हो जाती है, तो जांच के बाद इसे पंजीकृत वसीयत माना जाएगा.
अपील का प्रावधान
यदि सब-रजिस्ट्रार या रजिस्ट्रार वसीयत को अस्वीकृत कर देता है, तो व्यक्ति 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार या रजिस्ट्रार जनरल के पास ऑनलाइन अपील कर सकता है. यह अपील पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से की जा सकती है, जिससे प्रक्रिया सरल और सुलभ हो जाती है.
वसीयत से जुड़े कुछ खास प्रावधान
- पंजीकरण के आंकड़े उपलब्ध होंगे: वसीयत पंजीकरण के आंकड़े सार्वजनिक होंगे, लेकिन निजी विवरण केवल सहमति से साझा किए जाएंगे.
- झूठी शिकायत पर सख्ती: पहली बार झूठी शिकायत पर चेतावनी दी जाएगी, जबकि दूसरी और तीसरी बार जुर्माना लगाया जाएगा.
- जुर्माने की वसूली: जुर्माने का भुगतान 45 दिन के भीतर करना अनिवार्य होगा.
- ऑनलाइन शिकायत का निपटारा: ऑनलाइन शिकायतों का निपटारा 45 दिन के भीतर किया जाएगा.
- प्रमाणित कॉपी के लिए आवेदन: प्रमाणित कॉपी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा.
पता बदलने और वसीयत सत्यापन के लिए समय सीमा
वसीयत में पता या अन्य विवरण बदलने के लिए 30 दिन का समय मिलेगा. वसीयत को स्वयं सत्यापित करना होगा, लेकिन यदि व्यक्ति चाहे तो किसी अधिकृत एजेंसी की मदद भी ले सकता है.
लिव-इन प्रमाणपत्र और अन्य अधिकार
यूसीसी के तहत लिव-इन प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं. अब मकान मालिक यह कहकर किराए पर घर देने से मना नहीं कर सकते कि व्यक्ति शादीशुदा नहीं है.
डिजिटल युग में वसीयत का नया अध्याय
समान नागरिक संहिता के माध्यम से वसीयत प्रक्रिया को डिजिटल और सरल बनाने का प्रयास किया गया है. इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि वसीयत से जुड़े विवादों को भी कम किया जा सकेगा. यह कदम डिजिटल भारत की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है.